भारत में इस साल गर्मी ने रिकॉर्ड तोड़ने की ठान ली है। मार्च में ही तापमान 40°C के पार जा चुका है, और आने वाले महीनों में हालात और बिगड़ सकते हैं। भीषण लू और उमस भरी गर्मी से बचने के लिए AC की मांग तेज़ी से बढ़ रही है, लेकिन यह बढ़ती मांग बिजली संकट को और गहरा सकती है।
एक नई स्टडी बताती है कि अगर भारत सभी नए AC को ज़्यादा ऊर्जा-कुशल बना दे, तो 2.2 लाख करोड़ रुपये की बिजली बचाई जा सकती है और संभावित बिजली कटौती से बचा जा सकता है।
कैसे AC बिजली संकट को बढ़ा रहे हैं?
यूसी बर्कले (UC Berkeley) के इंडिया एनर्जी एंड क्लाइमेट सेंटर (IECC) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल 10-15 मिलियन नए AC बिकते हैं, और अगले 10 वर्षों में यह संख्या 150 मिलियन तक पहुंच सकती है। अगर यह ट्रेंड जारी रहा, तो 2030 तक 120 गीगावाट (GW) और 2035 तक 180 GW तक अतिरिक्त बिजली की जरूरत होगी—जो भारत के कुल बिजली उत्पादन का 30% हो सकता है!
इससे बिजली की भारी कमी हो सकती है और 2026 तक ब्लैकआउट जैसी स्थिति बन सकती है।
ऊर्जा-कुशल AC: समाधान या मजबूरी?
ऊर्जा-कुशल AC के फायदे
अगला कदम क्या होना चाहिए?
अब फैसला हमारा है!
गर्मी हर साल बढ़ रही है, और AC ज़रूरी होते जा रहे हैं। लेकिन सवाल यह है—हम ऊर्जा-कुशल AC को अपनाकर भारत को बिजली संकट से बचाएंगे या बढ़ती बिजली खपत के साथ ब्लैकआउट की ओर बढ़ेंगे?