शोधकर्ताओं ने एक नया, स्मार्ट, मॉड्यूलर और लचीला मवेशी पिंजरा बनाया है। इसे विभिन्न वाहनों में फिट करने के लिए समायोजित किया जा सकता है। इसमें एक रैंप है जो दरवाजे का भी काम करता है।
यह पिंजरा गांवों में मवेशियों के परिवहन को आसान बनाने में मदद कर सकता है। विशेष रूप से कृषि से संबंधित मवेशियों को मवेशी बाजार तक ले जाने में यह अधिक कारगर हो सकता है।
भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां मवेशी किसानों के लिए महत्वपूर्ण साथी हैं, वहां एक शहर से दूसरे शहर तक की यात्रा न केवल लोगों के लिए, बल्कि जानवरों के लिए भी अक्सर खतरनाक हो सकती है।
परंपरागत रूप से, मवेशियों को खुले या खराब तरीके से फिट किए गए माल वाहक ट्रकों में ले जाया जाता है, जिनमें उचित लोडिंग तंत्र नहीं होता है। इससे उन्हें बहुत अधिक तनाव, चोट और यहां तक कि जानलेवा दुर्घटनाओं का भी सामना करना पड़ता है। ये पुरानी प्रथाएं किसानों और ट्रांसपोर्टरों के लिए लॉजिस्टिक संबंधी परेशानी भी पैदा करती हैं। साथ ही ये सभी बुनियादी पशु कल्याण मानदंडों का उल्लंघन भी करती हैं।
महाराष्ट्र के नासिक स्थित गुरु गोबिंद सिंह कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड रिसर्च सेंटर के प्रोफेसर संदीप एस. पाटिल के नवाचार में इस परिदृश्य को बदलने की क्षमता है।
उनकी टीम ने डीएसटी-सीड (साइंस फॉर इक्विटी, एम्पावरमेंट एंड डेवलपमेंट) द्वारा वित्त पोषित परियोजना के माध्यम से एक पिंजरा विकसित किया है, जो मवेशियों के परिवहन को सुरक्षित, आसान और सस्ता बना सकता है।
यह केवल एक पिंजरा नहीं है, बल्कि विज्ञान-संचालित गतिशीलता समाधान है, जिसे दूरबीन तंत्र, फोल्डेबल रैंप और प्रबलित धातु फ्रेम के साथ डिजाइन किया गया है। यह यात्रा के दौरान चोटों को कम करने, तनाव को कम करने और मवेशियों के लिए सामान चढ़ाने तथा उतारने की प्रक्रिया में सुधार करने के लिए बनाया गया है।
इसमें टेलीस्कोपिक स्लाइडिंग की सुविधा है, जो वाहन के आकार से मेल खा सकती है। इसका एक रोलर-असिस्टेड मूवमेंट पिंजरे को आसानी से एडजस्ट करने में मदद करता है। फोल्डेबल रैंप कम डोर मवेशियों को लोड करने का एक सहज तरीका प्रदान करता है।
साथ ही यह सुरक्षा द्वार के रूप में भी काम करता है। पिंजरे का क्रॉस-लिंक मेश डिज़ाइन हवा के प्रवाह को बेहतर बनाते हुए स्थायित्व प्रदान करता है। उचित वेंटिलेशन सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन का परीक्षण फ़ील्ड सर्वेक्षण, किसान प्रतिक्रिया और कम्प्यूटेशनल फ़्लूइड डायनेमिक्स (सीएफडी) के साथ किया गया था।
परिवहन के दौरान पिंजरा पशुओं की चोटों और तनाव को कम कर सकता है। इससे छोटे पैमाने के किसानों के लिए हैंडलिंग आसान हो गई है । यह लागत प्रभावी और स्केलेबल है, ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों के लिए आदर्श है, पशु कल्याण कानूनों का अनुपालन करता है, संभावित रूप से ट्रांसपोर्टरों के लिए कानूनी मुद्दों को कम करता है और दो मंजिला विन्यास के अनुकूल है, जिससे यह बड़े वाहनों और अधिक भार के लिए भी उपयुक्त है।
इस प्रणाली का उपयोग डेयरियों, गौशालाओं , पशु चिकित्सा कार्यों तथा सुरक्षित और कम दूरी के पशुधन संचलन के लिए भी किया जा सकता है। इससे नुकसान कम करने, श्रम बचाने और मानवीय परिवहन प्रथाओं को बढ़ावा देने में समुदायों की मदद हो सकती है।
इस डिजाइन को पेटेंट और अकादमिक प्रकाशनों से मान्यता मिल चुकी है, जिसमें मॉड्यूलर और डबल-मंजिला संस्करणों के लिए 2024 में दो भारतीय पेटेंट भी शामिल हैं।
नासिक के अंबाड गांव में परिवहन पिंजरे का परीक्षण किया गया। सीएसआर फंडिंग और व्यापक कार्यान्वयन प्रयासों के माध्यम से परियोजना को आगे बढ़ाने की योजना पर काम चल रहा है।