छत्तीसगढ़ में अब पशुपालकों को बीमार मवेशियों के इलाज के लिए इधर-उधर भटकने की ज़रूरत नहीं। पशुपालन और डेयरी विभाग, भारत सरकार के सहयोग से छत्तीसगढ़ सरकार ने एक बेहतरीन पहल की है। राज्य के हर जिले में मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयाँ शुरू की गई हैं, जो हेल्पलाइन नंबर 1962 पर कॉल करने से सीधे पशुपालकों के दरवाज़े तक पहुंचती हैं।
क्या है 1962 सेवा और कैसे काम करती है?
जब भी किसी पशुपालक के मवेशी बीमार हो जाते हैं, तो वे सीधे 1962 नंबर पर कॉल कर सकते हैं। कॉल करते ही कॉल सेंटर पर मौजूद टीम पशुपालक से जरूरी जानकारी जुटाती है और निकटतम मोबाइल वेटरनरी यूनिट या एंबुलेंस को अलर्ट कर देती है। सेवा का संचालन पशुधन विकास विभाग, छत्तीसगढ़ शासन के अधीन हो रहा है। कई निजी कंपनियां इस परियोजना में साझेदार हैं और 24×7 इमरजेंसी सेवा देने का जिम्मा संभाल रही हैं।
इलाज होगा घर की चौखट पर
हेल्पलाइन पर कॉल के बाद वेटरनरी डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ से लैस एंबुलेंस कुछ ही समय में मवेशी के पास पहुंचती है। वहां पर ही मवेशी की स्वास्थ्य जांच, इलाज और जरूरी दवाइयों की व्यवस्था की जाती है।अगर समस्या मामूली होती है तो ऑनलाइन मेडिकल गाइडेंस (OLMD) के ज़रिए इलाज करवाया जाता है। लेकिन अगर मामला गंभीर है, तो एंबुलेंस भेजी जाती है।
कौन कर सकता है इस सेवा का उपयोग?
राज्य का कोई भी पशुपालक, चाहे वह शहर में हो या दूरस्थ ग्रामीण इलाके में, इस 1962 हेल्पलाइन सेवा का फायदा उठा सकता है। यह सेवा न सिर्फ इमरजेंसी में मदद करती है बल्कि पशुओं के नियमित चेकअप और टीकाकरण के लिए भी उपयोगी है।
क्यों ज़रूरी है ये सेवा?
छत्तीसगढ़ में लाखों की संख्या में लोग पशुपालन पर निर्भर हैं। बीमार मवेशियों का समय पर इलाज न होने से जहां एक ओर आर्थिक नुकसान होता है, वहीं कई बार पशुओं की जान भी चली जाती है। ऐसे में यह मोबाइल वेटरनरी सेवा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूती देने की दिशा में एक अहम कदम है।
1962 हेल्पलाइन छत्तीसगढ़ के पशुपालकों के लिए एक संजीवनी की तरह है, जो इलाज को उनके दहलीज़ तक पहुंचा रही है। तो अगली बार जब भी आपका मवेशी बीमार हो, परेशान मत होइए… बस 1962 डायल कीजिए, और देखिए कैसे सरकारी एंबुलेंस आपके दरवाजे तक पहुंचती है।